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Thursday, January 23, 2025

लोकसभा पर्यवेक्षक के सामने कांग्रेस की आई गुटबाजी

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भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। देlवभूमि उत्तराखंड में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की बाट जोह रही कांग्रेस पार्टी के लिए समीकरण ठीक नहीं दिख रहे हैं। जहाँ एक ओर सत्ताधारी भाजपा पूरे जोर-शोर के साथ चुनावी मैदान में दावे, घोषणाओं, आश्वासन और वादों के साथ कूद पड़ी है तो वहीं कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।

ताजा मामले में रुद्रपुर पहुंचे कांग्रेस पार्टी के नैनीताल लोकसभा पर्यवेक्षक, राजस्थान के मंत्री राजेंद्र यादव के सामने ही पार्टी का अनुशासन तार-तार हो गया जब किच्छा विधानसभा सीट पर दावेदारी को लेकर सात वरिष्ठ नेताओं ने कार्यक्रम स्थल पर ही जमीन पर बैठकर धरना शुरू कर दिया। कांग्रेस के इन नेताओं का कहना था कि किच्छा विधानसभा सीट पर स्थानीय प्रत्याशी को ही पार्टी का टिकट दिया जाए। घटनाक्रम पार्टी नेतृत्व को शर्मसार करने वाला रहा जब धरनारत इन नेताओं ने पार्टी के शीर्ष नेताओं की भी बात को अनसुना कर दिया और पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच के सामने जमीन पर ही बैठे रहे।

दरअसल, विधानसभा सीटों पर टिकट के दावेदारों की परख करने पहुंचे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र के पर्यवेक्षक राजेन्द्र यादव के सामने किच्छा विधानसभा सीट पर गुटबाजी खुलकर सामने आई। बुधवार को यादव ऊधमसिंह नगर से विधानसभा पद के दावेदारों की रायशुमारी के लिए शहर के एक निजी होटल में पहुंचे और विधानसभा वार सीट के दावेदारों के साथ बैठक आयोजित की। किच्छा विधानसभा सीट पर स्थानीय निवासी को प्रत्याशी बनाने की मांग को लेकर कांग्रेस प्रदेश सचिव हरीश पनेरू, पुष्कर राज जैन, डॉ गणेश उपाध्याय, पूर्व जिलाध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट, किसान कांग्रेस नेता सुरेश पपनेजा, संजीव कुमार सिंह और राजेश प्रताप सिंह ने उनके सामने धरना देकर विरोध जताया। इन सभी का कहना था कि किच्छा से स्थानीय व्यक्ति को कांग्रेस का टिकट दिया जाए। साफ़ तौर पर उनका विरोध चार बार के विधायक व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ से था जिन्होंने इस बार किच्छा सीट से ताल ठोंकी है। इस सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे तिलकराज बेहड़ ने कहा कि उनकी पैतृक जमीन मलसा गाँव में है और वह किच्छा विधानसभा क्षेत्र के निवासी होने के साथ ही इस सीट से परिसीमन पूर्व चार बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ऐसे में उन्हें बाहरी कहना कांग्रेस नेताओं को शोभा नहीं देता। उनको भी इस सीट से दावेदारी करने का पूरा हक है।

यादव के सामने विरोध करने वाले सातों नेताओं ने कहा कि दो बार के हारे प्रत्याशी को टिकट न देकर स्थानीय निवासी को टिकट दिया जाए। विरोध करने का मकसद अपनी बात हाईकमान तक पहुंचाना है। इस पूरे मामले में पर्यवेक्षक राजेन्द्र यादव ने विरोध करने से साफ इंकार किया। उन्होंने कहा कि पार्टी में कार्यकर्ताओं के बीच मनमुटाव रहता है। जिसे आपस में बैठकर सुलझा लिया जाएगा।

किच्छा सीट से दावेदारी को लेकर विरोध झेल रहे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र है और हर व्यक्ति को टिकट मांगने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि चाहे सात हो या सत्तर, विरोधी होने के बावजूद वह किच्छा से टिकट मांगने के लिए स्वतंत्र हैं और पार्टी हाईकमान के किसी भी निर्णय को स्वस्थ ह्रदय से स्वीकार करेंगे।

लोकसभा पर्यवेक्षक राजेंद्र यादव के सामने किच्छा सीट को लेकर सामने आई गुटबाजी से कांग्रेस का आम कार्यकर्ता आहत दिखा। कार्यकर्ताओं का कहना था कि पार्टी से टिकट जिसको भी मिले सभी को उस प्रत्याशी को एकजुट होकर लड़ाना चाहिए। उनका कहना था कि तिलक राज बेहड़ वरिष्ठ कांग्रेसी होने के साथ प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। उन्हें टिकट मिलना पार्टी हाईकमान का निर्णय है। लेकिन इस तरह जमीन पर बैठकर कनिष्ठों द्वारा विरोध करना पार्टी के हित में ठीक नहीं है।

 

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