

भोंपूराम खबरी। 15 मार्च को तराई पूर्वी वन प्रभाग के बाराकोली रेंज के अंतर्गत घायल अवस्था में रेस्क्यू की गई एक मादा फिश कैट को वन विभाग के रानी बाग रेस्क्यू सेंटर में उपचार के बाद उसे सकुशल स्वस्थ अवस्था में बारकोली रेंज अंतर्गत उसके वास्तविक वास स्थल पर छोड़ दिया गया है।

तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी ने बताया कि गत माह 15 मार्च को उक्त फिश कैट को घायल अवस्था में प्रशिक्षु आईएफएस रामजी रतन ने वन कर्मियों की टीम केबाद उसे सकुशल स्वस्थ अवस्था में बारकोली रेंज अंतर्गत उसके वास्तविक वास स्थल पर छोड़ दिया गया है. तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी ने बताया कि गत माह 15 मार्च को उक्त फिश कैट को घायल अवस्था में प्रशिक्षु आईएफएस रामजी रतन ने वन कर्मियों की टीम के
श्री बागरी ने बताया कि यह फिश कैट 1972 की अनुसूची के अंतर्गत हाथी. टाइगर.लेपर्ड.भालू की तरह संरक्षित शेड्यूल वन का प्राणी है तथा इसको पहली बार उत्तराखंड में इसकी उपस्थिति दर्ज हुई है जिससे वन महकामें में खुशी की लहर है। श्री बागरी ने कहा कि विभाग अब इस संरक्षित फिश कैट पर नजर बनाए रखने के लिए कैमरा ट्रैप का भी इंतजाम करेगा उन्होंने कहा कि यह फिश कैट नानक सागर डैम तथा छोटे नदी नालों में मछलियों का शिकार करता होगा जिस पर विभाग नजर रखेगा ।
फिशिंग कैट एक मध्यम आकार की गुलदार से छोटी जंगली बिल्ली होती है, जो मुख्य रूप से आर्द्रभूमि (वेटलैंड) आवासों से जुड़ी होती है। भारत में, इस प्रजाति की उपस्थिति मुख्य रूप से पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में दर्ज की गई है, जबकि उत्तराखंड जैसे उत्तरी राज्यों में इसकी उपस्थिति बहुत दुर्लभ है। उत्तराखंड में इसकी उपस्थिति अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है, इसको पहली बार जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे उत्तर प्रदेश के जंगलों में देखा गया है।