
भोंपूराम खबरी। अग्निशमन कर्मचारी विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं। हर साल जिले में अग्निशमन कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर भीषण आग पर काबू पाते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि अग्निशमन कार्यालय में एक फायर हाइड्रेट लगाए जाने की आवश्यकता है। आग लगने की सूचना पर गाड़ी को पानी की आपूर्ति के लिए कार्यालय से दो किलोमीटर दूर जल निगम जाना पड़ता है। कार्यालय में फायर हाइड्रेट लगने से आपातकालीन स्थिति में जल आपूर्ति में काफी मदद मिलेगी। शहर में लगे फायर हाइड्रेटों की मरम्मत कर इन्हें दुरुस्त किया जाना भी आवश्यक है।

उधम सिंह नगर जिले में कुल छह फायर स्टेशन और दो सब फायर यूनिट खटीमा सितारगंज, रुद्रपुर, जसपुर फायर स्टेशन और बाजपुर और किच्छा सब फायर यूनिट के अंतर्गत आते हैं। रुद्रपुर में कुल 42 अग्निशमन कर्मचारी तैनात है। वर्तमान में रुद्रपुर फायर स्टेशन में आग पर काबू पाने के लिए तीन वाटर कटर दो हाई प्रेशर और एक फायर बैंकपैक सेट युक्त बाइक है। रुद्रपुर की ढाई लाख से अधिक आबादी की सेवा के लिए अग्निशमन सदैव तैयार रहते हैं। बीते वर्ष जिले में पहली बार महिला अग्निशमन कर्मियों की तैनाती भी की गई है। काशीपुर बाईपास रोड स्थित अग्निशमन कार्यालय के कर्मियों ने बताया कि आग लगने की घटना के दौरान लोगों को संयम और धैर्य से काम करना चाहिए। सर्वप्रथम की जानकारी बिल्कुल सटीक होनी चाहिए। घबराकर कई बार पीड़ित गलत पता बताते है जिसके चलते उन्हें वहां तक पहुंचने में देरी होती है। घटनास्थल पर अनियंत्रित भीड़ आग बुझाने में समस्या पैदा करती है। लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। कर्मी परीक्षण लेने के बाद ही घटनास्थल में भेजे जाते हैं। जिम्मेदार लोग भीड़ को नियंत्रित कर अग्निशमन कर्मियों का सहयोग कर सकते हैं। मार्च के महीने से गर्मियों का सीजन शुरू होते ही विभाग पर कार्य शुरू हो जाता है। वाटर टेंडर में जल आपूर्ति के लिए सक्रिय आवश्यकता होती है। वर्तमान में रुद्रपुर में केवल तीन फायर हाइटी सक्रिय स्थिति में है। अग्निशमन कर्मियों का कहना है कि जल निगम की ओर से शहर में मौजूद सभी राइट को किया जाना चाहिए। आपात कालीन स्थिति में सबसे नजदीकी पावर हाइड्रेट से ही जल आपूर्ति की समस्या हल की जा सके।
गर्मियों से पहले फायर हाइडेंट सक्रिय किए जाएं
फायर स्टेशन में तीन बड़े बटर टेंडर है। आग लगने की सूचना मिलने पर इन्ही वाटर टैंडरों में पानी भरकर घटनास्थल पर आग बुझाने के लिए दो किलोमीटर दूर जल निगम में है। अग्निशमन कर्मियों का कहना है कि फायर स्टेशन के भीतर ही एक फायर हाइट लगाया जाना चाहिए। फरहाइडेंट स्टेशन में लगने से दो किलोमीटर दूर पानी के लिए जाने की आवश्यकता नहीं होगी। वर्तमान समय में शहर में मात्र तीन फाइट सक्रिय है। कलेक्ट्रेट में मौजूद फायर खेतों की के दौरान दोहो गया है। गर्मी के सीजन के शुरू होने से पहले सभी फाइट का भौतिक निरीक्षण कर उन्हें फिर से सक्रिय किया जाए। आग लगने की घटनाओं के दौरान फायर हाइड्रेट की सबसे अहम भूमिका होती है।
चौड़ीकरण न होने से जाम में फंसता है
रुद्रपुर फायर स्टेशन काशीपुर बाईपास रोड पर आवास विकास चौकी पर स्थित है पूरे शहर में सबसे अधिक जाम की समस्या इसी सड़क पर है। काशीपुर सड़क पर पांच से अधिक स्कूल सरकारी कार्यालय निजी बैंक और शहर के बड़े शोरूम है सड़क के चौड़ीकरण का प्रस्ताव मंजूर शुरू हो चुका है जिस पर जल्द कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
अग्निशमन कर्मियों का कहना है कि दिन में को दुर्घटना होने पर यदि स्कूल की छुट्टी का समय हो तो 10 मिनट के समय में आधा घंटा लग जाता है किसी भी घटना की सूचना मिलने पर वाहन दो मिनट में स्टेशन से निकल जाता है। सड़क पर जाम के कारण समय बर्बाद होता है। जाम के कारण कई बार छोटी आगजनी की घटनाएं भी बड़ा रूप से लेती है। काशीपुर बाईपास के चौड़ीकरण का कार्य शीघ्र किया जाना चाहिए। गर्मी से पहले ये कार्य हो जाना चाहिए। अग्निशमन कर्मियों रहने के लिए दी गई आवासीय सुविधाओं को बेहतर किया जाना चाहिए।
अभी कर्मचारियों के लिए बने आवास जर्जर स्थिति में हैं। घटनस्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के प्रबंध होने चाहिए जिससे आग पर तुरंत काबू पाया जा सकेगा। इसमें पुलिस को विभाग का पूरा सहयोग करना चाहिए।- मोहिनी
आग लगने के बाद बरती | जानी वाली सावधानियों के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता आवश्यकत है। इससे अग्निशमन कर्मियों का समय बच सकेगा और आग जल्द बुझ सकेगी। सुशील कुमार
गर्मियों के शुरू होने से पहले लोगों को आग | लगने पर बरती जानी वाली जानकारियों से अवगत कराया जाना चाहिए। इससे आग बुझाने के दौरान सहयोग मिलेगा। -निर्मला बिष्ट
मुख्य सड़क के ऊंचाई पर होने के कारण बरसात के नालियों में कारण बहने वाला पानी अग्निशमन कार्यालय के भीतर घुस जाता है। इससे कर्मचारियों को परेशानी होती है। सुरेश चंद्र
आग लगने पर पता बताते समय संयम बरतना चाहिए। घटनास्थल जानकारी सटीक होनी चाहिए। इससे अग्निशमन कर्मचारी समय पर पहुंच सकेंगे। सीमा धामी
लोगों को यह ब समझनी चाहिए कि प्रशिक्षण की प्रक्रिय पूरी करने के बाद ही अग्निशमन कर्मियों को घटनास्थल पर भेजा जाता है। उनके कार्य में बाधा नहीं | डालनी चाहिए। गंगोत्री
आग लगने की सूचना पर ट्रैफिक कंट्रोल रूम के सहयोग से जाम से निपटने में सहयोग ,होगा। । इससे समय पर अग्निशमन कर्मी घटनास्थल पर पहुंच सकेंगे। – विपिन सिंह
अग्निशमन आवासीय परिसर की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है। पुराने भवनों के मरम्मत का कार्य किया जाना चाहिए। अभी भ की स्थिति ठीक नहीं है। त्रिभुवन सिंह मेहरा
फायर स्टेशन को सचना मिलते ही वाहन |दो मिनट में रवाना हो जाते हैं। देरी से पहुंचने की वजह रोड पर जाम है काशीपुर बाईपास का चौड़ीकरण किया जाना चाहिए। नरेश कुमार
जब तक सही जानकारी न हो स्वयं आग बुझाने का प्रयास न करें। अग्निशमन के वाहनों का | इंतजार करें। अग्निशमन कर्मचारी ही इसके लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं। – मेघा
सुझाव
ट्रैफिक कंट्रोल रूम से मदद मिलने से जाम से निपटने में मदद मिलेगी। घटनास्थल वाले रूट पर पहले से वाहन के लिए रास्ता साफ किया जा सकता है।
2. पहले की तरह अग्निशमन के लिए विशेष रूप से जारी 101 डॉयल नंबर को लागू किया जाना चाहिए, जिससे समय पर सूचना मिल सके।
3. गर्मियों की शुरुआत से पहले जागरूकता के माध्यम से आग लगने पर बरती जाने वाली सावधानियों से जनता को अवगत कराना चाहिए।
4. कार्यालय परिसर में नालियों की आधुनिक मशीनों से नियमित सफाई की जानी चाहिए। नालियों को चौड़ा कर सीमेंटेड किया जाना चाहिए।
5. फायर स्टेशन के भीतर फायर हाइड्रेट होने से सूचना मिलते ही कम समय में पानी की आपूर्ति को पूरा कर घटनास्थल पर पहुंचा जा सकता है।
शिकायतें
1. घटनास्थल में पहुंचने के लिए जाम से निपटना सबसे बड़ी समस्या है। सूचना मिलने के दो मिनट के भीतर ही वाहन स्टेशन से निकलने को तैयार रहता है।
2. 112 नंबर पर सभी प्रकार की
समस्याओं की सूचना दी जाती है। हेडक्वार्टर से संबंधित क्षेत्र में सूचना मिलने में समय लगता है। इसमें सुधार किया जाए।
3. कई बार घटनास्थल पर मौजूद लोगों के आग बुझाने के प्रयास में आग और भीषण रूप ले लेती है। इसको लेकर जागरूकता की आवश्यकता है।
4. जलभराव के कारण नालियों की गंदगी अग्निशमन कार्यालय के भीतर जमा हो जाती है। गंदगी में रहना कर्मचारियों की मजबूरी हो जाती है।
5. फायर स्टेशन के भीतर फायर हाइड्रेट न होने के कारण दो किलोमीटर दूर जल निगम में पानी की आपूर्ति के लिए जाना पड़ता है। इससे समय बर्बाद होता है।
जर्जर भवनों में रह रहे हैं अग्निशमन कर्मी
अग्निशमन कार्यालय में 42 है। परिसर के भी कई सारी है, जिनमें मेरी रहते हैं पूरे शहर में लोगों के आशियानों को आग से बचने वाले अग्निशमन कर्मी खुद जर्जर भवनों में रहने को मजबूर है। तकरीबन बीस खत पहले भी लत में है। बाहर से देखने से ही अभी क्या कर रहे हैं। आवास भीतर से भी [अर्ज] ही चुके है। शैलों की स्थिति भी कमोवेश कुछ ऐसी ही है। कुछ ही शौचालय है जो इस्तेमाल के लायक है। आवासों के खिड़की दरवाजे भी क्षतिग्रस्त हालत में है। निगम की ओर से कूड़े का निस्तारण समय पर नहीं किया जा रहा है। पूरे शहर की तरह भी फायर स्टेशन जलभराव से प्रभावित है। बरसात में जलभराव के कारण नालियों से सारा पानी परिसर में घुस जाता है। आवासीय परिसर के पीछे एक नल मौजूद है जो पूरी तरह से है। निगम को नियमित रूप से साफ सफाई करनी चाहिए।
एक और बैकपैक युक्त बाइक की जरूरत रुद्रपुर शहर में सैकड़ों खरी गलिया है। पूर्व में भी आग लगने की घटनाओं के समय संकरी गलियों में आग पर काबू पाने में समस्या आती है। औद्योगिक क्षेत्र में घटना होने पर बड़े तीन पर टेडर की मदद आमाई जाती है। नजूल भूमि पर बसे रुद्रपुर शहर में कई छेत्र है। जहां सकरी गलिया है। वर्तमान समय में शहर की 50 प्रतिशत से भी अधिक आबादी इन्ही सकरी गलियों में रहती है। कई सकरी गालियां
ऐसी है जहा मिनी हाईप्रेशर वाहन भी नहीं जा पाते हैं। वर्तमान समय मे केवल एक बैकपैक सेट युक्त बाइक है। आग पर जल्द नियंत्रण पाने के लिए अग्निशमन कर्मियों को दो से अधिक बाइक की जरूरत है। कर्मियो का कहना है कि पर्याप्त कर्मियों के साथ व्यापक उपकरण भी मौजूद होने चाहिए। सकरी गलियों में बैकपैक सेट युक्त दो बाइक होने से कर्मी अधिक सुरक्षा के साथ आग पर काबू पा सकते है।
महिला कर्मियों के रहने की अलग से व्यवस्था हो
अग्निशमन कार्यालय में कई कर्मी अपने परिवार के साथ रहते हैं। परिसर के भीतर खाली जमीन में कही पसरा है से कही बंजर पड़ी है। कर्म का कहना है कि परिसर के भीतर ही बच्चों के खेलने के लिए पार्क की व्यवस्था की जानी चाहिए। पूरे परिसर की सफाई कर बजर जमीन पर फर्क बनाया जा सकता है। अग्निशमन कार्यालय सड़क के समीप है। अग्निशमन के वाहनों की आवाजाही के कारण परिसर के गेट दिनभर खुले रहते है। बच्ची के खेलते हुए सड़क पर जाने से हादसे का बना रहता है। परिसर के भीतर ही बौंडीवाल वाला पार्क बनाया जाना चाहिए। महिला अग्निशमन कर्मियों के लिए अलग से रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए। महिलाओं के लिए द्वितीय श्रेणी के आवासों की डीपीआर बनकर तैयार है।इसके निर्माण की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए।