भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनावों में जिस तरह हिंसा का नंगा नाच हुआ है वह अत्यंत गंभीर चिंता का विषय है। ग्राम प्रधानी चुनावो में मिले जख्मों से लोग उबर भी नहीं पाये थे कि जिला पंचायत और ब्लॉक अध्यक्ष चुनाव भी धनबल, बाहुबल और सत्ताबल तक सिमट कर रह गए। हर तरफ गुंडागर्दी का माहौल है। इन चुनाव को तत्काल रद किया जाना चाहिए।
यह बात लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुभाष छाबड़ा ने कही। उन्होंने सवाल किया कि ये कैसा लोकतन्त्र है। लगता है कि समाज 14वीं सदी में पहुंच गया है। छाबड़ा ने कहा कि ये शासन उस भाजपा को तो नहीं लगता जो कभी लोकतन्त्र की मजबूती के लिये लड़ा करती थी। सत्ता के लिए भाजपा एक तमाशबीन बन कर रह गयी है। उत्तरप्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में हमेशा से यही सब होता आ रहा है। लेकिन भाजपा के पास मौका था कि वह इन चुनावों को बगैर हिंसा और धन-बल के सम्पन्न करवा पाती तो लोकतन्त्र की तारीख में उसका नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होता।
त्रिस्ततीय पंचायत चुनाव ना तो पारदर्शी ना ही भयमुक्त माहौल में हुए हैं। ये लोकतंत्र की बरसों से उड़ रही धज्जी की मात्र पुनरावृत्ति है। छाबड़ा ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग मात्र सरकारों की कठपुतली बने रहते हैं इन्हें इनके किये की सज़ा मिलनी चाहिए और इन्हें हमेशा के लिये भंग कर देना चाहिए। वर्तमान पंचायत चुनावों को निरस्त किया जाना चाहिएं ताकि लोकतन्त्र महफूज रहे।
अगर राज्य चुनाव आयोग ऐसा करने में नाकाम है तो राष्ट्रीय चुनाव आयोग, माननीय उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय को लोकतन्त्र की सुरक्षा के लिये कदम उठाना चाहिए।