भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनरत संयुक्त किसान मोर्चा की आम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आने वाली 5 जून को ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ मनाया जाएगा। इस दिन खेती कानूनों के ऑर्डिनेंस के रूप में घोषित हुए 1 साल हो रहा है। वहीं 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए देश मे जन आंदोलन खड़ा किया था।
आपके अपने वेब पोर्टल भोंपूराम खबरी से वार्ता करते हुए मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा सभी देशवासियों से आह्वान करता है कि वह किसान आंदोलन में समर्थन को जारी रखे। पांच जून के दिन भाजपा के सभी सांसद, विधायक और प्रतिनिधि के दफ्तर के बाहर कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर संपूर्ण क्रांति में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि मोर्चा के आह्वान का देशवासियों ने भरपूर समर्थन किया है। सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर भी सभी देशवासियों से आग्रह है कि केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ सम्पूर्ण क्रांति का संकल्प ले और इसे जन आंदोलन बनाते हुए सरकार को मजबूर करें कि वह कानून वापस रद करें। इस दौरान बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ आदि किसान नेता मौजूद रहे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि रविवार को पंजाब के दोआबा क्षेत्र से किसानों का एक बड़ा जत्था सिंघु बॉर्डर पहुंचा। दोआबा क्षेत्र के किसानों ने इस आंदोलन में अहम योगदान निभाया है। नए जत्थे में किसान सिंघु बॉर्डर पहुंचे और मोर्चा संभाला। इसी तरह अब रोजाना किसानों का आना जारी रहेगा और दिनों दिन मोर्चा मजबूत होगा। बताया कि आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर मनाये गए ‘काला दिवस’ के बाद से देश भर से किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर अपना समर्थन देने लगातार पहुंच रहे हैं।
जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि पर संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। खेती, किसान और गांव के विकास में उनके योगदान को नमन किया। वक्ताओं ने कहा कि चौधरी चरण सिंह सही मायने में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे जिसमें किसान, मजदूर व गांव के लोग खुशहाल रह सके। किसानों का इस सरकार पर अविश्वास किसानों को चौधरी चरण सिंह की याद दिलाता है जो किसानों के हर दुख-दर्द को ईमानदारी से समाज व सरकार के सामने रखते थे व उसका समाधान निकालते थे। आज केंद्र की मोदी सरकार कॉर्पोरेट्स पक्षीय सिद्ध हो रही है जहां वो किसानों मजदूरों की बात नहीं सुनती।