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Monday, October 14, 2024

1 लाख रुपये, 20 दिन की छुट्टी… सुरंग से 17 दिन बाद निकले मजदूरों के लिए अब तक हुए ये ऐलान

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भोंपूराम खबरी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिन बाद मंगलवार को बाहर निकाल लिया गया. ये मजदूर सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को फंस गए थे. तब से ही इन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान जारी था. इसमें कई एजेंसियां शामिल थीं. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि सुरंग से बाहर निकाले गए 41 मजदूरों में किसी की भी हालत गंभीर नहीं है. सभी स्वस्थ हैं।

सीएम धामी ने बताया कि सभी मजदूर स्वस्थ हैं. वे स्ट्रेचर पर ले जाने के बजाय रेंगकर पाइप से बाहर आए. मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां उनका मेडिकल चेकअप होगा. इसके बाद मजदूर अपने अपने घर जा सकेंगे. मुख्यमंत्री धामी ने कहा, मजदूर नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के लिए काम रहे थे. एजेंसी ने मजदूरों को 15-20 दिनों के लिए घर जाने की अनुमति दी है.

धामी ने बताया, सबसे पहले युवा मजदूर को सुरंग से बाहर निकाला गया. इसके बाद एक एक बाकी मजदू को बाहर निकाला गया. उन्होंने बचाव अभियान के दौरान निरंतर समर्थन और प्रेरणा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सभी 41 मजदूरों को एक एक लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।

सीएम धामी ने कहा, मंदिर के मुहाने पर बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा और पहाड़ी राज्य में निर्माणाधीन सुरंगों की समीक्षा की जाएगी. धामी ने कहा, केंद्र सरकार ने निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट कराने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि बचाव अभियान में इस्तेमाल की गई अमेरिकी ऑगर मशीन को कई बार बाधाओं का सामना करना पड़ा।

पुष्कर धामी ने आखिरी 10-12 मीटर की खुदाई करने वाले रैट माइनर्स को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, मैन्युअल खुदाई करने वाले माइनर्स ने अहम भूमिका निभाई. मजदूरों के बाहर आने के लिए सबसे छोटे रास्ते के बारे में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से सलाह ली गई.

धामी ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के मजदूर को धन्यवाद दिया, जिन्होंने मजदूरों तक पहुंचने के लिए मलबे के अंतिम हिस्से में ड्रिलिंग की. मुख्यमंत्री ने बताया कि मजदूर पहले कुछ दिनों तक अपने भाग्य को लेकर अनिश्चित थे, लेकिन एक बार जब उनसे संचार स्थापित कर बातचीत की गई और उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए शुरू किए गए विशाल बचाव अभियान के बारे में पता चला, तो वे उनकी निकासी को लेकर आश्वस्त हो गए.

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