भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। जुलाई आ जाने के बावजूद तराई के क्षेत्र में मानसून की बेरुखी बरकरार है। यहां तापमान 40 डिग्री के ऊपर बना हुआ है। इस मौसम में जहां बारिश के छींटे पड़ने चाहिए थे वहां भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल है। वहीं बारिश न होने से किसानों के माथे पर भी बल पड़े हुए हैं।
मौसम विभाग के अनुसार तराई में आगामी चार-पांच दिन मौसम मुख्यतः शुष्क रहेगा। दरअसल लगभग तीन सप्ताह पहले इलाके में दस्तक देने वाला मानसून पिछले कई दिन से अक्षांश बदलकर दक्षिण की ओर चला गया। इसका केंद्र बंगाल की खाड़ी में बन गया था।
पंतनगर विश्विद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ आरके सिंह ने कहा कि आगामी पांच- छ दिन प्रदेश में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं है। बृहस्पतिवार देर शाम को भी शहर में मात्र पन्द्रह मिनट ही बारिश दर्ज की गई।
वहीं बारिश न होने से किसान खासे परेशान हैं। एक कहावत है कि अषाढ़ में किसान चूक गया तो फिर उसे किसानी संवारना मुश्किल पड़ जाता है। खेती के लिहाज से यह महीना बहुत ही अहम है। क्योंकि खरीफ की शुरुआत भी अषाढ़ से ही होती है। हल्की बूंदाबांदी को छोड़ दिया जाए तो अभी तक मानसून की झमाझम बारिश नहीं हुई जबकि जुलाई में एक सप्ताह से ज्यादा का समय बीत गया। ऐसे में धान की नर्सरी डालने व जुताई के लिए किसानों को मानसून की दस्तक का बेसब्री से इंतजार है।
किसानी की बेहतर सफलता का मुख्य दारोमदार मौसम और पानी पर निर्भर है। तराई का मुख्य व्यवसाय कृषि आधारित है। जानकार कहते हैं कि कृषि का सिस्टम बिगड़ा तो अन्नदाताओं के आर्थिक ढांचे पर इसका गहरा असर पड़ता है। पिछले पांच साल ऐसे गुजरे जिनमें पर्याप्त बारिश न होने से इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा। इनके अलावा बाकी के कई ऐसे साल गुजरे जो औसत वर्षा के आंकड़े को पार नहीं कर पाए और उसका असर यहां की कृषि पर देखने को मिला। भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा का कहना है कि समय से बारिश शुरू हो गई तो चावल उत्पादक क्षेत्रों में नर्सरी डालने व दलहन-तिलहन वाले खेतों में जुताई का काम शुरू हो जाएगा। मानसूनी वर्षा से ही किसानी रफ्तार पकड़ेगी।