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Wednesday, February 5, 2025

पाइन वुड विलास” के बिल्डर जगदीश के खिलाफ गोपनीय जांच शुरु

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भोंपूराम खबरी। रुद्रपुर के काशीपुर रोड पर स्थित ग्राम दानपुर में NH 74 से लगी हुई लगभग 3.5 एकड़ कृषि भूमि पर “पाइन वुड विलास” के नाम से कॉलोनी विकसित करने वाले कॉलोनाइजर जगदीश सिंह बिष्ट के खिलाफ लाखों रुपए के स्टांप शुल्क चोरी के मामले की गोपनीय जांच शुरू हो गई है साथ ही इस पूरे मामले में जिला प्रशासन अब जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 166 व 167 के तहत भी संबंधित भूमि को राज्य सरकार में निहित करने की कार्रवाई शुरू कर सकता है….रुद्रपुर के ग्राम दानपुर में जगदीश बिष्ट द्वारा विकसित की गई “पाइनवुड विलास कॉलोनी” में अब तक जितनी भी भूमि अथवा प्लॉट की रजिस्ट्री हुई है उनकी डिटेल संबंधित विभाग द्वारा खगाली जा रही है,जिसके तहत रुद्रपुर सब रजिस्ट्रार कार्यालय से पूरी सूचना मांगी गई है….जगदीश बिष्ट द्वारा चोरी किए गए स्टांप शुल्क पर जुर्माने और ब्याज के साथ तीन से चार गुना तक स्टांप शुल्क वसूलने की तैयारी भी अब संबंधित विभाग द्वारा की जा रही है….हम आपको बता दें कि इस पूरे मामले में जगदीश बिष्ट की विवादित कॉलोनी का नक्शा पास करने को लेकर अब जिला विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी संदेह के दायरे में है।

 

दरअसल जगदीश सिंह बिष्ट ने बीते 11 जून वर्ष 2019 में रुद्रपुर के ग्राम दानपुर में अनुसूचित जाति की महिला पुष्पा देवी से तत्कालीन DM नीरज खैरवाल की अनुमति के बाद कृषि कार्य के लिए कुल 1.5810 हेक्टेयर भूमि खरीदी थी और बाद में जिला विकास प्राधिकरण से जगदीश बिष्ट ने बिना पुष्पा देवी के हस्ताक्षर वाले दो शपथ पत्रों को लगाकर गलत दस्तावेजों के आधार पर कृषि कार्य के लिए खरीदी गई भूमि पर विकास प्राधिकरण से “पाइन वुड विलास” नामक की कॉलोनी का नक्शा भी पास करवा लिया….पर सवाल ये उठता है कि जब कॉलोनी का नक्शा पास कराने के लिए 2 आवेदकों पुष्पा देवी और जगदीश बिष्ट ने आवेदन किया तो शपथ पत्र में एक आवेदक के हस्ताक्षर ना होने के बावजूद भी जिला विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने संबंधित नक्शा कैसे पास कर दिया ?

हम आपको बता दें कि जब आरोपी बिल्डर जगदीश बिष्ट ने पहली बार अनुसूचित जाति की महिला से 0.6072 हेक्टेयर भूमि क्रय की तो उस दौरान जगदीश बिष्ट ने कृषि भूमि के तौर पर भूमि को क्रय किया था और निर्धारित स्टांप शुल्क भी सरकार के खजाने में जमा कराया था पर प्राधिकरण द्वारा नक्शा पास किए जाने के बाद जगदीश बिष्ट ने जब 15 अक्टूबर वर्ष 2019 दोबारा पुष्पा देवी से 0.4048 वर्ग मीटर जमीन क्रय की तो उस दौरान जगदीश बिष्ट ने स्टांप शुल्क की चोरी करते हुए रजिस्ट्री कार्यालय में कृषि भूमि के तौर पर संबंधित भूमि की रजिस्ट्री करवा ली,जबकि संबंधित भूमि पर मौके पर कमर्शियल कार्य हो रहा था….मौके पर संबंधित भूमि पर कमर्शियल कार्य इसलिए हो रहा था क्योंकि जगदीश बिष्ट पहले ही विकास प्राधिकरण में गलत दस्तावेजों के आधार पर प्रस्तावित पाइन वुड विलास कॉलोनी का नक्शा पास करवा चुके थे और तो और बीते 11 फरवरी वर्ष 2022 को जगदीश बिष्ट ने फिर स्टांप शुल्क की चोरी करते हुए 0.2024 हेक्टेयर भूमि पुष्पा देवी से क्रय करते हुए कृषि भूमि के तौर पर एक बार फिर संबंधित भूमि की रजिस्ट्री करवा ली,जबकि मौके पर संबंधित भूमि पर बड़े स्तर पर कमर्शियल निर्माण कार्य भी हो गया था।

इस पूरे मामले में कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट ने एक तरफ जहां तत्कालीन जिलाधिकारी नीरज खैरवाल की परमिशन पर अनुसूचित जाति की महिला से कृषि कार्य के लिए खरीदी गई भूमि पर भू-कानूनों का उल्लंघन कर कॉलोनी विकसित कर जमकर करोड़ों रुपए के वारे न्यारे किए,वहीं दूसरी तरफ स्टांप शुल्क की चोरी कर राज्य सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का भी चूना भी लगा दिया….उधर इस पूरे मामले में अब पीड़ित महिला पुष्पा देवी ने सचिव जिला विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर इस पूरे मामले में आरोपी कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट के “पाइन वुड विलास” कॉलोनी का स्वीकृत नक्शा निरस्त करने की मांग की है साथ ही पीड़ित महिला ने उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण यानी “रेरा” के अध्यक्ष को पत्र भेजकर आरोपी कॉलोनाइजर का रेरा रजिस्ट्रेशन भी निरस्त करने की मांग की है….पीड़ित महिला की शिकायत के आधार पर जिला विकास प्राधिकरण के सचिव ने दोनों पक्षों को अब आगामी 15 अक्टूबर को नोटिस जारी कर तलब किया है।

कुल मिलाकर इस पूरे मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी से ली गई अनुमति के बाद अनुसूचित जाति की महिला से खरीदी गई भूमि पर कृषि कार्य ना कर कमर्शियल कार्य करने वाले कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट की पाइन वुड विलास कॉलोनी की रजिस्ट्री पर भी अब जिला प्रशासन रोक लगा सकता है,क्योंकि जगदीश बिष्ट ने संबंधित भूमि पर कृषि कार्य करने का शपथ पत्र लगाकर जिलाधिकारी से परमिशन लेने के बाद अनुसूचित जाति की महिला से भूमि की रजिस्ट्री अपने नाम करवाई थी पर मौके पर भूमि पर कृषि कार्य ना कर बड़े स्तर पर कमर्शियल कार्य कर बिल्डर द्वारा भू-कानूनों का उल्लंघन किया गया है…. लिहाजा इस पूरे मामले में आरोपी कॉलोनाइजर की जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने के साथ-साथ जिला प्रशासन जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 166 व 167 के तहत संबंधित भूमि को राज्य सरकार में निहित करने की कार्रवाई भी शुरू कर सकता है।

 

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