भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। परित्यक्ता के मामलों में प्रदेश की राजधानी देहरादून सबसे आगे है। दून में दंपतियों के बीच सबसे अधिक दूरी बढ़ रही है। समाज कल्याण विभाग के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। प्रदेश में परित्यक्ता पेंशन का लाभ करीब 7454 महिलाएं ले रही हैं। इनमें अकेले देहरादून में 1159 महिला पेंशनर हैं, जबकि सबसे कम परित्यक्ता पेंशनर 163 उत्तरकाशी में हैं। हालांकि मंडल स्तर पर गौर करें तो कुमाऊं में गढ़वाल के मुकाबले अधिक मामले हैं। इन महिलाओं को 89.662 लाख रुपये पेंशन बांटी जाती है।
समाज में शादीशुदा महिलाओं के पति से अलग होकर मायके या फिर अन्य स्थान पर रहने, सालोंसाल से लापता पति की पत्नी और उम्र बढ़ने या अन्य किसी कारणों से अविवाहित महिलाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से परित्यक्ता पेंशन दी जा रही है। सरकार भले ही परित्यक्ता महिलाओं को आर्थिक मदद देने के साथ ही उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए योजना चला रही है,लेकिन दंपतियों के बीच आपसी सामंजस्य नहीं बनने से रिश्ते खराब हो रहे हैं। ऐसे में महिलाओं को अपने पति से दूर होने का दंश झेलना पड़ता है।
समाज कल्याण विभाग के सामाजिक सुरक्षा राज्य पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी देहरादून में अन्य जिलों के मुकाबले सबसे अधिक 1159 महिलाएं परित्यक्ता पेंशन का लाभ ले रही है इसके अलावा कुमाऊं मंडल का नैनीताल जिला दूसरे व अल्मोड़ा तीसरे स्थान पर है। नैनीताल में 999 व अल्मोड़ा जिले में 992 महिलाएंपरित्यक्ता पेंशन से जुड़ी हैं। जबकि गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी में सबसे कम 163 पेंशनर हैं।
परित्यक्ता महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा व आर्थिक मदद के लिए विभाग की तरफ से पेंशन दी जाती है। इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायत या शहर के जनप्रतिनिधियों की तरफ से प्रमाण पत्र जारी करना होता है। महिला भी पति से अलग या उनके लापता होने का शपथ पत्र दाखिल करती हैं। जिसके बाद उन्हें पेंशन का लाभ दिया जाता है। हेमलता पांडे, सहायक निदेशक, समाज कल्याण विभाग