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Wednesday, December 4, 2024

तराई में पानी बचाने के लिए धान का विकल्प बनेगी मक्का

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भोंपूराम खबरी,हल्द्वानी। तराई में लगातार घट रहे भू-जल स्तर को देखते हुए पानी बचाने के लिए गर्मी में धान के बजाए मक्के की खेती की जाएगी। जिससे गर्मी के दौरान तराई में 5000 लाख हजार लीटर पानी की बचत होगी। इस परियोजना पर काम शुरू करने के लिए कुमाऊं आयुक्त की मंजूरी के बाद 8 करोड़ का प्रोजेक्ट शासन को भेजा गया है। जिससे तराई में गर्मी के दौरान होने वाली धान की खेती को पूरी तरह से बंद कर उसके स्थान पर मक्के की खेती शुरू की जाएगी। जिसके लिए सरकार की ओर से किसानों को कलस्टर के माध्यम से मदद दी जाएगी।

तराई में गर्मी के सीजन में धान की खेती से काशीपुर, जसपुर व बाजापुर में भू-जलस्तर में रिकॉर्ड गिरावट आ गई है। गर्मी में की जाने वाली धान की पैदावार से किसानों के लिए सिंचाई के पानी का संकट पैदा हो गया है। जिससे किसानों को जमीन से सिंचाई के लिए पानी मिलना मुश्किल होता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने तराई में 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गर्मी की धान की फसल को रिप्लेस कर उसके स्थान पर मक्के की खेती शुरू किए जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है।

जिसके लिए कलस्टर के माध्यम से किसानों को विभाग की ओर से मक्के की फसल की कटाई, बुवाई, हाईब्रिड बीज समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। मक्के की फसल पैदा होने के बाद उसकी एमएसपी पर खरीद व्यवस्था की जाएगी। साथ ही किसानों के मक्के को बॉयोइथेनॉल प्लांट में बिक्री के लिए भी करार कराया जाएगा। जिससे तराई के भू- जल स्तर में आ रही गिरावट को कम किया जा सकेगा।

एक किलो धान की पैदावार में 5 हजार लीटर पानी खर्च

ऊधमसिंह नगर के मुख्य कृषि अधिकारी अभय सक्सेना ने बताया कि गर्मी के दौरान एक किलो धान पैदा करने में 5 हजार लीटर पानी खर्च होता है। जबकि मक्के की खेती में इसका सिर्फ 1/5 भाग पानी ही खर्च होता है। गर्मी में धान की फसल पैदा किए जाने से तराई में किसानों के लिए सिंचाई के पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है। जिसके मक्के की फसल से रिप्लेस किया जाएगा। मक्के की फसल का गर्मी के सीजन में धान के मुताबले ज्यादा पैदावार होती है। साथ ही इसका एमएसपी भी धान की अपेक्षा 2200 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से निर्धारित की गई है। तराई में मक्के की खेती के लिए कुमाऊं आयुक्त की संस्तुति के बाद राज्य सरकार प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए भेजा गया है।

तराई में भू-जलस्तर GG को बनाए रखने के लिए गर्मी के दौरान धान की खेती पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। इसके स्थान | पर मक्के की खेती की जाएगी। मक्के की खेती के लिए किसानों को सरकार की ओर से जरूरी | सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। जिसके लिए 8 करोड़ का प्रस्ताव | राज्य व 1 करोड़ का प्रस्ताव | केन्द्र सरकार को भेजा गया है। -दीपक रावत, आयुक्त कुमाऊ

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