भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। डीज़ल- पेट्रोल की कीमतों में आये उछाल असर साफ तौर पर बाजार में इसकी मांग और साथ ही अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिख रहा है। पेट्रो पदार्थों के मूल्यों में आई अभूतपूर्व तेजी के चलते पेट्रोल पंपों पर तेल की बिक्री में 50 फीसदी तक कमी आ चुकी है। यही वजह है कि काम कम होने की वजह से पेट्रोल पंपों पर कर्मचारियों की संख्या भी कम हो गयी है। लाज़मी है कि मुनाफा कम होने पर नियुक्तियां घट जाती हैं और बेरोजगारों की संख्या बढ़ती है।
लॉकडाउन के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट बन्द होने के बाद पेट्रोल-डीजल की खपत में भारी कमी आई थी। पेट्रोल पंप संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान निजी वाहनों को सुबह 7 से 12 बजे तक ही पेट्रोल भरवाने की अनुमति है। इसके बाद पूरे दिन पेट्रोल की बिक्री कुछ खास नहीं होती थी। शक्ति आयल कार्पोरेशन के मैनेजर चंदन सिंह बोरा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद बाजार में तेज़ी की उम्मीद थी लेकिन डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामो के चलते बाजार में भारी गिरावट आई है। चंदन सिंह ने बताया कि मंदी से पहले उनके पेट्रोल पंप पर 5 से 6 हजार लीटर तेल की खपत प्रतिदिन हुआ करती थी । उन्होंने कहा कि वर्तमान में तेल कीमतों में आयी वृद्धि के कारण प्रतिदिन की खपत 2. 5 से 3 हजार लीटर प्रतिदिन की रह गई है। कमोबेश यही हाल शहर के अन्य पेट्रोल पंपों का है। इन पेट्रोल पंपों पर काम करने वाले कमर्चारियों की भी छंटनी की जा रही है। जिससे कई परिवारों के समक्ष भरण-पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। शहर के एक पेट्रोल पंप पर काम करने वाले नीरज कुमार ने बताया कि नौकरी से निकाले जाने के बाद अब वह मजदूरी कर अपना परिवार पाल रहे हैं।