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Sunday, October 27, 2024

क्या मिल्की-वे के केंद्र में रहते हैं एलियन

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भोंपूराम खबरी।

क्या मिल्की-वे के केंद्र में रहते हैं एलियन

अगर हम हैं तो कहीं दूसरी दुनिया में एलियंस का अस्तित्व भी जरूर होगा। मगर अभी तक उनका कोई अता पता नहीं। अब उनके ठिकाने को लेकर हमारी आकाशगंगा के केंद्र में संभावना जताई जा रही है और रेडियो दूरबीन की मदद ली जा रही है।

एलियन यानी दूसरे ग्रहों के प्राणी की तलाश में युग बीता जा रहा है, लेकिन इनकी तलाश अभी भी अधूरी है। मगर अब इनकी खोज के लिए नया तरीका इजाद किया जा रहा है। संभव है कि इनकी तलाश खत्म हो जाए। इसके लिए सर्च फॉर एक्स्ट्राट्रेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (सेटी) मिशन ब्रेकथ्रू लिसन इन्वेस्टिगेशन फॉर पीरियॉडिक स्पेक्ट्रल सिग्नल (बीएलआईपीएसएस) शुरू करने जा रहा है।

एलियंस की खोज के लिए नई जगह हमारी आकाशगंगा के केंद्र को चयनित किया गया है और रेडियो दूरबीनों पर भरोसा जताया गया है। इस खोज को लेकर खास बात ये यह है कि खगोलविद शोध कर चुके हैं, जो द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित होने जा रहा है। एलियन की तलाश के लिए आकाशगंगा के केन्द्र को चुनने की वजह यह है कि यह हिस्सा अधिकांश सितारों से भरा हुआ है, जिसमें अधिकांश सितारों के अपने ग्रह हैं और उन ग्रहों में रहने यानी जीवनयोग्य ग्रह भी बढ़ी संख्या में मौजूद हैं। साथ ही आकाशगंगा का यह क्षेत्र बेहद सघन है। जिसके चलते रेडियो संचार समेत अन्य माध्यमों से संपर्क साधा जा सकता है। सेटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर वहा हम जैसा बुद्धिमान जीवन व मानव जैसी सभ्यता होगी तो निश्चित ही वह हमारे भेजे सिग्नल का जवाब देंगे। कॉर्नेल विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र अक्षय सुरेश इस नई परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका कहना है कि लाखों सितारों से भरे आकाशगंगा के सघन कोर क्षेत्र से आने वाले आवधिक संकेतों की तलाश करना हमारा लक्ष्य है। इस मिशन की घोषणा पिछले सप्ताह की गई है। यूएस स्थित सेटी संस्था पिछले कई दशकों से एलियंस की तलाश में जुटी हुई है। आसमान की कई दिशाओं में अनेक सिग्नल भेज चुकी है। जिसमें भारतीय शब्द ॐ का सिग्नल भी भेज चुकी है, लेकिन अभी तक किसी तरह सफलता हाथ नहीं लग पाई है। ऐसा भी नहीं है कि एलियंस को पहले कभी ना देखा गया हो। जिन्हे देखे जाने का जिक्र तो होता आया है। मगर वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिल पाने के कारण इनके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह बना हुआ है। एलियन की मौजूदगी को लेकर वैज्ञानिक भी दबी जुबान कहते रहे हैं कि वास्तव में दूसरे ग्रह के प्राणी भी मौजूद हैं, मगर उनकी मौजूदगी सिद्ध किए बिना उनका खामोश रहना मजबूरी है।

फोटो व श्रोत: अर्थ स्काई।

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