भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। कोरोना के चलते सभी तरफ आर्थिक मंदी छाई हुई है। जिससे शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता नही है | शिक्षा क्षेत्र के इसी मर्म की को जानने के लिए आपके अपने वेब पोर्टल “भोंपूराम खबरी” की टीम ने स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर का रुख किया गया। जहां पहुंचने पर प्रधानाचार्य से मिलने का कारण बताये जाने पर विद्यालय के अकाउंटेट ब्रह्मानंद भड़क गए। उनके मुताबिक विद्यालय के लोगों का वेतन जानने का अधिकार मीडिया को नहीं है। साथ ही उन्होंने अन्य विद्यालयों में वेतन की जानकारियां लेने की नसीहत तक दे डाली।
एक सामान्य प्रश्न पर अकाउंटेंट का इस तरह गुस्से में आ जाना इशारा करता है कि शिक्षकों के वेतन को लेकर विद्यालय में सब कुछ ठीक नहीं है। बीते साल भी लॉकडाउन के दौरान शिक्षक वर्ग काफी समस्याग्रस्त रहा जब विद्यालयों ने उनकी पगार में तीस से लेकर पचास प्रतिशत तक कटौती कर दी थी। ऐसे में उनके हालात जानने के सवाल पर एक अकाउंटेंट का भड़कना यह साबित करता है कि लॉकडाउन के कारण कहीं न कहीं शिक्षकों का आर्थिक उत्पीडन किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि आरएसएस द्वारा पूरे देश में सरस्वती शिशु मंदिर के 1,223 विद्यालय संचालित किये जाते है। ये मात्र एक आकड़ा नहीं है बल्कि देश के सबसे बड़ी स्कूल चेन की व्यवस्थाओं में से एक है। आरएसएस के इन शिक्षण संस्थानों की सबसे बड़ी पहचान अनुशासन है। लेकिन अकॉउंटेंट ब्रह्मानंद के व्यवहार को देखकर विद्यालय के अनुशासन पर ही सवालिया निशान खड़े हो रहे है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि मीडिया के साथ इस तरह का बर्ताव करने वाले ब्रह्मानंद विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के साथ किस तरह का बर्ताव करते होंगे। फ़ोन पर हुई बातचीत में विद्यालय के प्रधानाचार्य ने अकाउटेंट ब्रह्मानंद के व्यवहार पर खेद जताया। उन्होंने बताया कि विद्यालय में सभी कर्मचारियों की नियमित रूप से वेतन दिया जा रहा है।