भोंपूराम खबरी। अवैध खनन को लेकर किच्छा सुर्खियों में आ गया है। लालपुर में श्मशान घाट के पास सरकारी तालाब के नाम पर मिट्टी खनन अफसरों के गले की फांस बन गया है। बड़ा सवाल यह है कि जब नेशनल हाईवे का निर्माण कर रही गल्फार इंजीनियरिंग को मिट्टी की आवश्यकता थी ही नहीं तो फिर कैसे इस कंपनी के इंजीनियर के हस्ताक्षर से मिट्टी उठाने की अनुमति मिल गई। न तो कंपनी द्वारा मिट्टी उठाने के लिए रॉयल्टी दी गई और न ही एनएच पर मिट्टी डाली गई तो फिर 40 लाख से ज्यादा की मिट्टी आखिर कहां चली गई।
बड़ी बात यह है कि जिस इंजीनियर के हस्ताक्षर से अनुमति की बात कही जा रही है, वह इसके लिए अधिकृत ही नहीं है, तो आखिर किसने दबाव बनाकर उसके हस्ताक्षर कराए ? खैर, इस मामले में शासन के हस्तक्षेप के बाद खानापूर्ति करते हुए किच्छा प्रशासन ने भले ही जुर्माना लगा दिया हो लेकिन क्या जुर्माना मानक के अनुरूप है ? और फिर धरती का सीना चीरने वाले इन लोगों पर एफआईआर क्यों नहीं हुई यह भी बड़ा प्रश्न