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Thursday, December 12, 2024

यहां के दो चिकित्सकों पर हुआ केस, कोविडकाल के दौरान भी लगे थे आरोप

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भोंपूराम खबरी। ऊधमसिंहनगर में कोविडकाल के दौरान इलाज में लापरवाही पर दो चिकित्सकों के खिलाफ एसएसपी मंजूनाथ टीसी के निर्देश पर पंतनगर थाने में केस दर्ज हुआ है। जसपुर के एक युवक ने तीन वर्ष पूर्व कोविडकाल के दौरान उसके पिता के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए रुद्रपुर और काशीपुर के कोविड प्रभारियों के खिलाफ तहरीर सौंपी है। एसएसपी के निर्देश पर पंतनगर थाने में आरोपी कोविड प्रभारी डॉ. गौरव अग्रवाल और डॉ. प्रमेंद्र तिवारी पर आईपीसी की धारा 304ए के तहत केस दर्ज कर लिया है।

मोहल्ला छिपियान पूर्वी जसपुर निवासी सतीश कुमार ने तहरीर में बताया कि उसके पिता हंसराज अरोरा की 22 जुलाई 2020 को कोरोना की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। स्वास्थ्य विभाग जसपुर ने उन्हें कोविड केयर सेंटर काशीपुर में भर्ती किया था। कोविड प्रभारी डॉ. प्रमेंद्र तिवारी ने शासनादेश का हवाला देकर सतीश को मरीज के साथ रहने से मना कर दिया था।

24 जुलाई 2020 को उसने अपने पिता को फोन किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें बुखार है और कोई भी डाक्टर देखने नहीं आया है। डॉ. प्रमेंद्र से बात की तो उन्होंने मरीज का ऑक्सीजन लेवल 92 प्रतिशत बताकर मरीज को जिला चिकित्सालय रुद्रपुर भेजने की बात कही। रुद्रपुर में पिता का इलाज कोविड प्रभारी डॉ. गौरव ने किया। डॉ. गौरव ने आश्वासन दिया कि उसके पिता शीघ्र स्वस्थ हो जाएंगे। निवेदन पर भी पिता से मिलने नहीं दिया गया।

आरोप है कि मरीज को निजी अस्पताल में रेफर करने के लिए डॉ. गौरव ने दोबारा कोरोना जांच कराने का नियम नहीं होने का बहाना किया। पांच अगस्त 2020 को वार्ड में भर्ती किसी अन्य मरीज के रिश्तेदार ने फोन करके बताया कि आपके पिता बाथरूम में गिर गए थे। उच्चाधिकारियों से संपर्क करके अपने पिता को गुरुग्राम के लिए रेफर करवाया। आरोप है कि डॉ. गौरव ने इलाज संबंधी दस्तावेज देने से मना कर दिया। इधर, गुरुग्राम के अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि पिता की किडनी और हार्ट सही इलाज ना मिलने के कारण बहुत खराब हो चुका है। सात अगस्त 2021 को इलाज के दौरान पिता की मौत हो गई। सतीश का कहना है कि विभाग के उच्चाधिकारियों को जांच के लिए प्रार्थना पत्र सहित रुद्रपुर कोतवाली में तहरीर दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

गौरतलब है की कोविडकाल के दौरान कई लोगों ने चिकित्सकों पर ऐसे आरोप लगाए थे,जिसे उस समय गंभीरता से नहीं लिया गया। जिसके चलते मेडिकल कॉलेज में बनाए गए कोविड सेंटर में कई ऐसे लोगों की मौत हुई थी,जो घर से मामूली सा स्वस्थ्य विगडने पर जांच कराने गए थे। उसकी मौत के बाद रुद्रपुर के कोविड सेंटर में तैनात प्रभारी पर सवाल भी उठे थे।

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