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Saturday, July 27, 2024

भारी बारिश से लोगों में दहशत, कर रहे मकान खाली, अधिकारी नहीं उठ रहे फोन !!

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भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। भारी बारिश के बीच रुद्रपुर में बीते साल अक्टूबर माह में भयंकर वर्षा से हुई तबाही की कड़वी यादें लोगों के मन में ताजा हो गई हैं। निचले इलाकों और में बस्तियों में डैमों से पानी छोड़े जाने की अफवाह फैल चुकी है जिसके कारण जगतपुरा, खेड़ा, ट्रांजिट कैंप जैसे इलाकों में लोग मकान खाली करना शुरू कर चुके हैं। लोगों का यह भी कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं जिस कारण सही स्थिति न पता चलने से लोगों में डर बढ़ रहा है।

ज्ञातव्य है कि बीते साल 19 व बीस अक्टूबर को हुई मूसलाधार बारिश से पूरे जनपद में बाढ़ के हालात बन गए थे। रुद्रपुर में स्थिति भयावह थी जहां लोगों के घरों में दस फीट तक पानी भर गया था। कई मकान जमींदोज हो गए थे तो संपत्ति का नुकसान करोड़ों में हुआ था। आज सुबह से हो रही मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर वही डरावना मंजर लोगों के जेहन में ताजा कर दिया है।

लगभग एक साल बीतने पर भी शहर में जलनिकासी की व्यवस्था नहीं की जा सकी। आलम यह है कि समाचार लिखे जाने तक मुख्य बाजार, ट्रांजिट कैंप, जगतपुरा आदि इलाकों में एक से दो फुट पानी भर चुका है। मालिन बस्तियों में लोग मकान खाली कर जा रहे हैं। भोंपूराम खबरी से वार्ता करते हुए व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा ने कहा कि व्यापारी किसी भी तरह का खतरा नहीं लेना चाहते इसलिए कल रात से ही अपनी दुकानों की सुरक्षा में लगे हैं। जहां बेसमेंट हैं वहां से सामान निकाला रहा है, यहां तक कि अब तो बाजार की दुकानों में पानी घुसने लगा है। उन्होंने बताया कि वह कल रात 11 बजे से ही व्यापारियों के साथ एक तरह के रेस्क्यू मिशन पर लगे हैं। नाराजगी भरे स्वर में जुनेजा ने कहा कि स्थानीय प्रशासन और निगम फेल साबित हुआ है जिन्होंने पिछले साल की आपदा से कोई सबक नहीं लिया। आज भी लोग भगवान के रहमो करम पर हैं।

वहीं जगतपुरा बस्ती के लोगों में भी प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी देखी गई। महेश कुमार ने कहा कि बीते साल भी अचानक पानी आ जाने से उनका घर डूब गया था, सारा सामान तबाह हो गया था और प्रशासन ने चेतावनी भी जारी नहीं की थी। इस बार उन्हें वही सब न झेलना पड़े इसलिए वह ट्रक पर सामान रखकर पहले ही अपना मकान खाली कर रहे हैं।

गगनदीप सिंह ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी फोन नहीं उठा रहे इसलिए वस्तुस्थिति नहीं पता चल पा रही। मामले की सच्चाई जानने को हमारे संवाददाता ने भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के फोन मिलाए लेकिन दुर्भाग्यवश लोगों के आरोप सही साबित हुए। ऐसे में यह देखने योग्य होगा कि क्या प्रशासनिक लापरवाही के बीच बीते साल का इतिहास स्वयं को दोहराता है या प्रकृति लोगों को इस बार बख्श देगी?

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