Saturday, May 17, 2025

पंचम नवरात्र: मां स्कंदमाता के पूजन मुहूर्त, विधि, मंत्र, प्रिय भोग, पुष्प, रंग व आरती

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भोंपूराम खबरी।

शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन आज है। भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि पर विशेष रूप से की जाती है। देवी के इस स्वरूप की आराधना से जहां व्यक्ति की सद्कामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं उसके मोक्ष का मार्ग भी सुलभ हो जाता है। स्कंद कार्तिकेय की माता होने के कारण ही देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता नाम मिला। काशी खंड, देवी पुराण और स्कंद पुराण में देवी का विराट वर्णन है।

मां स्कंदमाता का स्वरूप:

मां स्कंदमाता स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय की मां हैं। मां के स्वरूप की बात करें तो स्कंदमाता की गोद में स्कंद देव गोद में बैठे हुए हैं। मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इस वजह से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां का वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है।

मां स्कंदमाता का प्रिय रंग व पुष्पः

मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत यानी सफेद रंग अति प्रिय है। मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा में श्वेत रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

मां स्कंदमाता का भोग

मां स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है। इसके अलावा मां भगवती को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित कर सकते हैं।

मां स्कंदमाता के पूजन मुहूर्त-ब्रह्म मुहूर्त- 04:43 ए एम से 05:34 ए एम प्रातः सन्ध्या- 05:08 ए एम से 06:24 ए एम अभिजित मुहूर्त- 11:43 ए एम से 12:29 पी एम विजय मुहूर्त- 02:00 पी एम से 02:45 पी एम गोधूलि मुहूर्त- 05:48 पी एम से 06:13 पी एम सायाह्न सन्ध्या- 05:48 पी एम से 07:04 पी एम अमृत काल- 12:14 पी एम से 01:51 पी एम

मां स्कंदमाता पूजा विधि-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।

स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।

मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।

मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती अवश्य करें।

मां स्कंदमाता का मंत्र –

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

मां स्कंदमाता की आरती-जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता. सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी. तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं. कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा. कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा. हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति. अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो. इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे. दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

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