भोंपूराम खबरी। रुद्रपुर नगर निगम में बुधवार को हुई वोर्ड की बैठक को लेकर पूर्व सभासद रामबाबू ने कई बड़े आरोप लगाया है। उन्होंने बैठक को अवैध करार देते हुए जिलाधिकारी उदयराज सिंह को पत्र देकर कार्यवाही की मांग की है। रामबाबू ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव, मंडलायुक्त को भी पत्र भेजा है।
गुरुवार को जिलाधिकारी को सौंपे शिकायती पत्र में रामबाबू ने लिखा की नगर आयुक्त विशाल मिश्रा को शासन ने आठ अगस्त को कार्यमुक्त कर दिया था, इसके बाद भी बुधवार को विशाल मिश्रा ने बोर्ड बैठक में नगर आयुक्त की हैसियत से हिस्सा लेकर कई विवादित कामों का प्रस्ताव पास करा दिया। नगर निगम एक्ट में साफ लिखा है कि बोर्ड की बैठक का एजेंडा नगर आयुक्त की तरफ से जारी होता है, लेकिन यह काम मेयर रामपाल ने किया है, जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। उन्होंने कहा की कार्यमुक्त होने के बाद भी नगर आयुक्त विशाल मिश्रा और मेयर ने अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा काम किया है। बोर्ड बैठक में निगम की पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 30 हजार कर दिया गया। कांग्रेसी पार्षदों के विरोध के बाद भी विवादित सभागार,जिसका मामला कोर्ट में विचाराधीन है, उसमें सुख सुविधाएं के लिए प्रस्ताव पास हुआ। इतना ही नहीं पूर्व में जो काम हो चुके हैं,उन कामों में 06 प्रतिशत जीएसटी की बढ़ोत्तरी की बात कहकर 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी गयी, जिससे निगम पर करोड़ों रुपया का बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा की बोर्ड बैठक में 65 प्रस्तावों पर मोहर लगी है, जिसमें 45 काम ऐसे हैं, जिनकी जरूरत नहीं थी, लेकिन मेयर और कार्यमुक्त नगर आयुक्त ने अपने चहेते ठेकेदारों को प्याला पहुंचाने के लिए ऐसे प्रस्ताव पास कर दिए।
मेयर रामपाल सिंह के हस्ताक्षर जारी बोर्ड बैठक के एजेंडे की कापी
उन्होंने कहा की यह सब काम नगर आयुक्त और मेयर की मिलीभगत से हुआ है। दोनों ने मिलकर पहले भी कई ऐसे काम किए हैं, जिससे निगम का बड़ा नुक्सान हुआ है। नगर में बना सभागार अवैध रूप से बनाया गया, जिसे डीडीए ने सीज करने के बाद 1.76 करोड का जुर्माना लगाया था, इसी तरह से गांधी पार्क की दीवार जो आधी बनी हुई थी, ठेकेदार को उसका 20 लाख का भुगतान किया गया है। पिछले दिनों निकले 45 टेंडरों में भी बड़े घोटाले के आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा की नगर निगम पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा की वह पूरे मामले में स्थानीय स्तर पर कार्यवाही न होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगें।