
भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। मंगलवार को ट्विटर व फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स 26 मई को बंद होने की खबर तेजी से फैलने के बाद इन एप्लीकेशन के उपभोक्ताओं में निराशा थी। लेकिन मंगलवार सुबह जब इन उपभोक्ताओं को जब यह सोशल मीडिया सक्रिय दिखे तो उन्होंने राहत की सांस ली। लोगों का कहना था कि लॉकडाउन में काम करने व समय बिताने के लिए इंटरनेट और इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उन्हें काफी सहारा है। ऐसे में इनके बंद होने से लोगों की मनस्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। वहीं विशेषज्ञों ने इन्हें मात्र अफवाह करार दिया।

ज्ञात हो कि ट्विटर व फेसबुक बंद होने की खबर की एक बड़ी वजह पिछले दिनों सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिये लाए गए नए नियम भी बने हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए सरकार तीन महीने पहले नए नियम लेकर आई थी और यह नियम 26 मई से लागू हो रहे हैं। इसी को देखते हुए अब कहा जा रहा है कि 26 मई से फेसबुक और ट्विटर काम करना बंद कर देंगे। आदेश में कहा गया था कि किसी भी सोशल मीडिया कंपनी ने अगर इन नियमों को नहीं माना तो उन्हें फिर देश में ऑपरेट नहीं करने दिया जाएगा। असल में सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में कंप्लायंस अधिकारी, नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए कहा गया था और उन सभी का कार्यक्षेत्र भारत में होना जरूरी रखा गया था। सरकार के इन नियमों को यह तकनीकी कंपनियां पूरा नहीं कर सकी हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से कंप्यूटर साइंस से स्नातक कर रहे छात्र पार्थ कुमार का कहना है कि भारत सरकार के सभी गलत-सही निर्णयों का जितना बचाव सोशल मीडिया के इन दो प्लेटफॉर्म की वजह से अब तक होता आया है, सरकार उसे ऐसे ही बंद नहीं कर देगी। सरकार इन तकनीकी दिग्गजों पर नकेल जरूर कसने जा रही है। जिससे ये दोनों ही कंपनियां सरकार के इशारों पर काम करती रहें और अभिव्यक्ति का ढोंग भी बचा रहे। ट्विटर के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस की रेड और बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट पर मैनिपुलेटेड के ठप्पे ने इस बात को और हवा दी है कि सरकार ट्विटर और फेसबुक को बैन कर सकती है।
दोनों ही कंपनियों के लिये भी भारत कारोबार के लिहाज से बड़ा बाजार है। फेसबुक में तो भारतीय कारोबारी मुकेश अंबानी के शेयर तक हैं। ऐसे में सरकार एक झटके में इन कंपनियों को भारत से बाहर का रास्ता दिखाने से पहले 100 दफा सोचेगी। फिर भले ही झगड़े कितने ही बड़े स्तर पर क्यों न पहुंच जाएं। भारत सरकार अगर ट्विटर और फेसबुक पर हमले तेज करती है, तब यह भी संभावना है कि इससे देश में निवेश कर रही टेक कंपनियां एक झटके में अपने हाथ पीछे खींच लें। ——- ध्रुव भनोट, सॉफ्टवेर कंपनी कर्मचारी
यह खबर भारत की आर्थिकी देखते हुए अफवाह ही लगती है। हालांकि, पूर्व में बाइट डांस और टिकटॉक जैसे बड़े ग्रुप को चीन के बहिष्कार के प्रतीक के तौर पर भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। लेकिन यहां मसला अमेरिकी कंपनियों का है। जिनपर हाथ डालना आसान नहीं। ये दोनों ही कंपनियों दुनियाभर में सोशल मीडिया के बड़े प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाती हैं।— अंशुमन अरोड़ा, अर्थशास्त्री
खबर आने के बाद एकबारगी निराशा छा गयी थी। लेकिन बुधवार सुबह जब दोनों ही सोशल मीडिया जीवंत दिखे तो राहत मिली। लॉकडाउन में घर बैठे वैसे ही अवसाद बढ़ रहा है। इन एप्लीकेशन के बंद होने से मानसिक तौर पर परेशानी होना स्वाभाविक है। —-आर्यमन जोशी, फेसबुक उपभोक्ता