Saturday, March 22, 2025

नवरात्रि का पांचवें दिन, ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा विधि, आरती और मंत्र

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भोंपूराम खबरी। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। शेर पर सवारी करने वाली माँ स्कंदमाता की 4 भुजाएं होती हैं। इनकी गोद में बालक स्कन्द अर्थात कार्तिकेय विराजमान होते हैं। कमल के फूल पर आसन होने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। मान्यता है इनकी सच्चे मन से पूजा करने से ज्ञान बढ़ता है। मां का स्मरण करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। जानिए इनकी पूजा विधि विस्तार से।

पूजा विधि:

-सुबह जल्दी उठ जाएं। माँ स्कंदमाता की मूर्ति, फोटो या प्रतिमा को गंगा जल से पवित्र करें।

माता को कुमकुम, अक्षत, फूल, फल अर्पित करें।

-मिठाई का भोग लगाएं।

माता की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं।

-माता की आरती करें।

स्कंदमाता की कथा पढ़ें।

-माँ स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।

स्कंदमाता बीज मंत्र:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्कंदमाता के मंत्र:

-ॐ स्कंदमात्रै नमः

-ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः

-रदव्यसिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

-महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी।

त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।

मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।

पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।

जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।

हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाडो पर है डेरा।

कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।

भक्त की आस पुजाने आयी॥

 

 

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