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Wednesday, January 15, 2025

नरोदा नरसंहार में सभी बरी, पढ़ें डॉक्टर से नेता बनीं माया कोडनानी की कहानी जो थीं दंगों की मुख्य आरोपी

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भोंपूराम खबरी। नरोदा गाम नरसंहार केस में अहमदाबाद की एक विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. 21 साल पहले हुई इस हिंसा में 11 लोगों की जान गई थी।

केस में अहमदाबाद की एक विशेष कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने माया कोडनानी, बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 28 फरवरी 2002 यानि 21 साल पहले हुई इस हिंसा में 11 लोगों की जान चली गई थी. हिंसा मामले में 86 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इन आरोपियों में बीजेपी की पूर्व विधायक और बीजेपी सरकार में मंत्री रही माया कोडनानी के साथ ही बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल थे. बता दें कि 86 आरोपियों में से 18 की मौत हो चुकी है. कोर्ट ने आज बचे हुए 68 आरोपियों के खिलाफ फैसला सुना दिया।

दरअसल इस मामले में कोर्ट ने 16 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान फैसले की तारीख 20 अप्रैल तय की थी और साथ ही सभी आरोपियों को उस दिन कोर्ट में पेश होने के आदेश भी दिए गए थे. बता दें कि इस मामले में सभी आरोपी जमानत पर बाहर थे। एसआईटी ने माया कोडनानी को बनाया दंगों का मुख्य आरोपी

27 फरवरी को हुए गोधरा ट्रेन कांड के अगले दिन यानि 28 फरवरी को सुबह से नरोदा गाम में हलचल थी. देखते ही देखते ये हलचल दंगे में बदल गई. इस हिंसा में भीड़ के हाथों 11 लोगों की जान चली गई, वहीं नादिया पाटिया में हुई हिंसा में 97 लोगों की जानें चली गईं थी. इस घटना के बाद गुजरात की तत्कालीन बीजेपी सरकार और उनके मंत्रियों पर सवाल उठने लगे. जिसका नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आया वो थी माया कोडनानी. इस मामले में सरकार ने जांच के लिए एसआईटी गठित की थी. एसआईटी ने अपनी जांच में माया कोडनानी को दंगों का मुख्य आरोपी बनाया था.

2012 में कोर्ट ने माया को दिया था दंगे मामले में दोषी करार

2012 में एसआईटी मामलों की विशेष कोर्ट ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को इस हिंसा की प्लानिंग और हत्या का दोषी माना था, इनके साथ ही 32 अन्य लोगों को भी दोषी ठहराया गया था. जिसके बाद कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. 2017 में कोर्ट ने इस मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद से लगातार इस मामले में सुनवाई चल रही हैं.

2002 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष ने माया के पक्ष में दी थी गवाही

2002 में रहे गुजरात बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष इस मामले में 2017 में माया कोडनानी के पक्ष में गवाह के रूप में कोर्ट में पेश हुए थे. दरअसल माया कोडनानी का कहना था कि जिस दौरान दंगे हुए उस समय वो विधानसभा में मौजूद थी वहीं दोपहर के समय वो गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं. इसी बात की गवाही के लिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि वो बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष को गवाही के लिए बुलाएं. हालांकि उस दौरान मौके पर मौजूद कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी है कि दंगों के समय कोडनानी नरोदा में ही थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाने का काम किया था. बता दें कि हाई कोर्ट माया को 2002 के दंगो के एक केस में पहले ही बरी कर चुका है

पेशे से डॉक्टर थी माया कोडनानी

नरोदा गाम नरसंहार की मुख्य आरोपी माया कोडनानी पॉलिटिशियन से पहले एक डॉक्टर थी. वो नरोदा में ही अपना एक अस्पताल चलाती थीं, लेकिन RSS से जुड़ने के बाद वो राजनीति में एक्टिव हो गईं. उनके भाषणों ने धीरे-धीरे उन्हे फेमस कर दिया, और यही देख पार्टी ने उन्हे 1998 में विधायकी का टिकट दिया. और वो ये चुनाव जीत गईं. इसके बाद 2002 और 20227 के चुनाव में भी माया ने जीत हासिल की और गुजरात सरकार में मंत्री बनी। सब सही था, लेकिन 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई. इस टीम के समन जारी करने पर माया पूछताछ के लिए ऑफिस पहुंची और बस यहीं से माया कोडनानी की मुसीबत बढ़ती चली गईं. इस मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कोर्ट ने 2012 में उन्हे नरोदा पाटिया नरसहांर मामले में दोषी करार दिया था.

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