भोंपूराम खबरी,गदरपुर। सब्जी फल इत्यादि बेचकर अपने परिवार की आजीविका चला रहे खोखा फड़ व्यवसायियों का तहबाजारी शुल्क के नाम पर जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है। आरोप है कि नगर पालिका की आड़ में ठेकेदार नियमों को ताक पर रखकर जमकर वसूली कर रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि शासनादेश को दरकिनार कर व्यापारियों से करीब 150 रुपये वसूला जा रहे है। आलम यह है कि सब कुछ जानने के बावजूद भी पालिका प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
गौरतलब है कि बुध बाजार में लगने वाले साप्ताहिक हॉट बाजार इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है। बाजार में आसपास के ग्रामीण इलाकों से आए किसान और मजदूर अपने खेतों में लगाई गई कई प्रकार की सब्जी, फल आदि का फड़ लगाकर छोटा-मोटा कारोबार कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। ऐसे में नियमों को ताक पर रखकर खोखा फड़ व्यापारियों से मैसूल (तहबाजारी शुल्क ) के नाम पर मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। आरोप है कि ठेकेदार प्रत्येक फड़ कारोबारी से करीब 130 से लेकर ₹140 तक की वसूली कर रहा है। जबकि शुल्क के एवज में कोई भी रसीद तक नहीं दी जा रही की जा रही। यदि शासनादेश की बात की जाए तो वसूली जा रही धनराशि कई गुना ज्यादा है। आपको बताते चलें कि नगर पालिका परिषद हर साल पालिका क्षेत्र के अंतर्गत खोखा फड़ व्यवसायियों से तहबाजारी शुल्क लेने के लिए तहबाजारी का ठेका देती है। साथ ही किसी भी ठेकेदार को ठेका देने से पूर्व विभाग के सभी नियमों से अवगत कराते हुए निर्धारित शुल्क वसूलने के निर्देश देती है। परंतु आलम यह है कि नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए खोखा फड़ व्यवसायियों से तहबाजारी शुल्क के नाम पर मोटी धनराशि वसूल की जा रही है। पालिका की नाक के नीचे चल रहे इस खेल पर कार्यवाही करना तो दूर पालिका प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। एक सर्वे के मुताबिक किसी भी नगर निगम, नगरपालिका या नगर पंचायत क्षेत्र में मात्र ₹20 से लेकर ₹30 तक तहबाजारी शुल्क लिया जा रहा है। जबकि गदरपुर नगरपालिका क्षेत्र में यह आंकड़ा सैकड़ा भी पार कर चुका है। आखिरकार किसके इशारे पर गरीब मजदूरों की खून पसीने की जमकर बंदरबांट कराई जा रही है। यदि बात की जाए मोदी सरकार की तो किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को साकार करने के बजाय कुर्सियों पर बैठे कुछ चुनिंदा जनप्रतिनिधि अपने निजी स्वार्थों के चलते केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की छवि को धूमिल करने में जुटे हैं। ऐसे में ठेकेदार की मनमानी और सांठगांठ के इस गोरखधंधे का जिला प्रशासन के अलावा शहरी विकास मंत्रालय को भी संज्ञान लेना चाहिए। जिससे उत्पीड़न के खेल पर अंकुश लगाया जा सके।
पिछले कई सालों से हम अलग-अलग बाजारों में दुकान लगा रहे हैं परंतु मैसूल के नाम पर इतने रुपए कहीं भी नहीं लिए जाते यदि गदरपुर की बात करें तो बिना रसीद दिए ठेकेदार ₹130 रुपए एक फड़ के हिसाब से ले रहा है
तहबाजारी के नाम पर ठेकेदार मनमानी कर रहा है। विरोध करने पर अभद्रता की जाती है। यदि हम एक फड़ के करीब डेढ़ सौ रुपए मैसूल देंगे तो अपने बच्चों का गुजारा कैसे करें।
नियमों के अनुरूप ही निर्धारित दरों पर शुल्क लेना चाहिए यदि ठेकेदार ज्यादा शुल्क वसूल रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। जगदीश चंद्रा, अधिशासी अधिकारी ,नगर पालिका परिषद गदरपुर