भोंपूराम खबरी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अब साइबर जालसाजी हो रही है। एआई से दोस्त, रिश्तेदार की आवाज बदलकर साइबर जालसाज फोन कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। अगर आपके पास भी कोई सगा संबंधी बनकर फोन कर मदद के नाम पर पैसे मांगे तो सावधान हो जाएं। यूपी साइबर क्राइम अब हाल के महीनों में हुई वॉयस कॉल फ्रॉड में एआई के इस्तेमाल की जांच कर रही है। एआई से हो रहे साइबर फ्रॉड को लेकर एडवायजरी भी जारी की गई है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विस्तार होने के साथ ही साइबर जालसाजों ने लोगों को ठगने का नया तरीका अपनाया है। अब तक सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल, ओटीपी समेत अन्य तरीकों से ठगी हो रही थी, लेकिन अब जालसाज एआई की वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद ले रहे हैं। यह टूल आपकी आवाज इतने सलीके से नकल करता है कि अपनी व टूल की आवाज में अंतर नहीं कर पाएंगे। इसके लिए साइबर क्रिमिनल सबसे पहले किसी शख्स को ठगी के लिए चुनते हैं। इसके बाद उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखते हैं और उसकी किसी ऑडियो व वीडियो को अपने पास रख लेते हैं। इसके बाद एआई की वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद से उसकी आवाज क्लोन करते हैं। फिर उनके परिचित को उसकी आवाज में फोन कर बताया जाता है कि उनका एक्सिडेंट हो गया है या कोई भी इमरजेंसी स्थिति बताकर ठगी की जा रही है। यूपी साइबर क्राइम के एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह का कहना है कि एआई की मदद से साइबर ठगी में एनसीआर के कई मामलों की जांच हो रही है। हाल के महीने में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें एआई के इस्तेमाल होने की आशंका है। साइबर क्राइम की टीम सभी पहलुओं पर जांच कर रही है।
तीन से पांच सेकेंड की आवाज से वॉयस क्लोनिंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से किसी की भी आवाज की नकल करने के लिए सिर्फ तीन से पांच सेकेंड का वीडियो चाहिए। साइबर क्रिमिनल फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सर्च कर किसी भी आवाज का सैंपल ले लेते हैं। इसके बाद वायस क्लोन कर उनके परिचित, रिश्तेदारों को फोन किया जाता है। आवाज की क्लोनिंग ऐसी होती है कि पति-पत्नी, पिता पुत्र तक आवाज नहीं पहचान पा रहे हैं।
सगे संबंधी का फोन आए तो पहले कर लें पता
हाल के दिनों में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। दोस्त रिश्तेदार बनकर मदद व इमरजेंसी के नाम पर लाखों की जालसाजी कर रहे हैं। अगर आपके पास दोस्त, रिश्तेदार की आवाज में किसी नंबर से फोन आए तो आप सतर्क हो जाएं। तुरंत ही उनके पास फोन कर पहले जानकारी लें तब पैसे दें। केवल आवाज पहचान कर पैसे दिए तो फंस जाएंगे।
ठगी से बचाव के लिए करें यह उपाय
अलग-अलग अकाउंट का अलग-अलग पासवर्ड रखें, एक-जैसे पासवर्ड बनाने से बचें।
यदि दोस्त या सगे-संबंधी की आवाज में पैसे के लिए फोन आए तो एक बार खुद फोन करके कंफर्म कर लें ।
साइबर फ्रॉड के शिकार होने पर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।