भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं की पूजा की जाती है जिसमे गौ माता का भी विशेष स्थान है। शुक्रवार को पूरे देश में गौ माता के सम्मान में गोपाष्टमी का पर्व भी मनाया गया। मान्यता है कि श्री कृष्ण ने इसी दिन से गायों को चराना शुरू किया था। राजनीतिक पार्टियां भी गाय पर बढ़ चढ़कर राजनीति करती है। इन सब के बीच गौवंशीय पशुओं की दशा जस की तस बनी हुई है। बता दे कि रुद्रपुर के कई हिस्सों में गायों को कूड़ा खाते देखा जा सकता है। जो माँ के रूप में पूजी जाने वाली गाय की वर्तमान स्थिति बताने के लिए काफी है।
मान्यता है कि बहनों के भाई नहीं होते वो गोपाष्टमी के दिन गायों को तिलक करती है। हालांकि वर्तमान में ज्यादातर लोगों के लिए गायों की अहमियत दूध देने वाली पशु से ज्यादा कुछ नहीं समझते। बता दे कि डेरियों में गाय से अधिक भैंस पाली जाती है और गायों में भी विदेशी गायों को पालने का प्रचलन अधिक देखने को मिलता है। ज्योतिषाचार्य लव कुश भारद्वाज ने बताया कि गोपाष्टमी पर गायों की पूजा का विशेष महत्व है लेकिन गायों की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि एक समय पर हर घर में एक गाय पाली जाती थी, घर की पहली रोटी गाय के लिए निकाली जाती थी। आज यह परम्परा भी समाज से विलुप्त होती दिख रही है।