भोंपूराम खबरी,रूद्रपुर । पिछले 15 दिनों से पश्चिम बंगाल और बिहार में डेरा जमाये एसटीएफ ने रिटायर्ड चिकित्सक से ट्रेजरी अधिकारी बनकर साढ़े दस लाख रूपये की ठगी करने वाले शातिर साईबर ठग को गिरफ्रतार कर लिया। खुलासा करते हुए साईबर थाने में सीओ एसटीएफ सुमित पाण्डे ने बताया कि हल्द्वानी निवासी रिटायर्ड चिकित्सक हरीश लाल ने थाना हल्द्वानी में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि अज्ञात कालर ने स्वयं को ट्रेज़री अधिकारी बताकर पेंशन देयकों के भुगतान के नाम पर 10,50,000 की धोखाधड़ी कर ली।
26 अक्टूबर 2022 को मामले में अभियोग पंजीकृत हुआ था। विवेचना थाना कोतवाली हल्द्वानी से साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन कुमाऊँ परिक्षेत्र रूद्रपुर को स्थानान्तरित हुयी। उन्होंने बताया कि विवेचना प्रभारी निरीक्षक साईबर क्राईम ललित मोहन जोशी को दी गयी। विवेचना से एसटीएफ को जानकारी मिली कि जो धनराशि साईबर ठगों द्वारा ठगी गयी है उसे कोलकता और बिहार में विभिन्न एटीएम से निकाला गया है। एक टीम को तत्काल कोलकता और बिहार भेजा गया। वहां पर इस टीम ने 15 दिन तक एटीएम कैश विड्रॉल सीसीटीवी फुटेज व अन्य सम्भावित पतों पर छानबीन की और ठग की गिरफ्तारी को बिहार हाजीपुर, वैशाली आदि जनपदों और पश्चिम बंगाल के कोलकता शहर के कई इलाकों में छापेमारी की तो इस घटना में अभिषेक शॉ पुत्र अरूण शॉ निवासी बिदुपुर थाना बिदुपुर जनपद वैशाली बिहार को पश्चिम बंगाल क्षेत्र थाना कस्बा कोलकता स्थित उसके फ्रलैट से गिरफ्रतार किया।
उसके कब्जे से घटना में प्रयुत्तफ़ सिम कार्डस- मोबाईल फोन्स, डेबिट कार्ड्स बरामद किये गये। उन्होंने बताया कि पकड़े गये साईबर ठग को पूर्व में भी कोलकाता पुलिस साईबर ठगी के आरोप में जेल भेज चुकी है। परन्तु जेल से छूटने के बाद साईबर ठग अभिषेक अपने काम को और भी शातिर तरीके से करने लगा और पुलिस से बचने के तरह तरह के हथकण्डे प्रयोग करता था। परन्तु साईबर पुलिस की टीम पिछले 15 दिन से अधिक समय तक कोलकता में रहकर जमीनी स्तर कार्य करते हुए उक्त साईबर क्रिमिनल के बारे में जानकारी जुटायी। इस ठग का कोलकता शहर के कस्बे से गिरफ्रतार कर ट्रांजिट रिमाण्ड प्राप्त कर उत्तराखंड ले आयी। ठग ने पूछताछ में बताया कि वह जेल से आने के बाद बहुत ही सावधानी से अपना ठगी का काम कर रहा था। परन्तु उत्तराखंड एसटीएफ की साईबर टीम के गहन तकनीकी दक्षता के सामने उसके मंसूबे फेल हो गया। एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल पूरे ऑपरेशन में स्वंय निगरानी कर रहे थे। सफल अनावरण में एएसआई सत्येन्द्र गंगोला व कांस्टेबल मो. उस्मान की भूमिका सराहनीय रही। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उनके द्वारा रिटायर्ड लोगों को फोन काल कर ट्रेजरी आफीसर के रूप में बातचीत की जाती है और फिर उनके व्हाट्सएप पर पेंशन भुगतान संबंधी फार्मेट भेजे जाते हैं। पेंशन के समस्त देयकों का भुगतान करवाने के झांसे में लेकर उनके मोबाईल का विभिन्न खातों में इंटरनेट बैंकिंग के जरिये मोबाईल नम्बर बदलकर धनराशि प्राप्त कर ली जाती है। वह नेटवर्क मार्केटिंग में काम कर चुका है। जिसकी वजह से बातचीत करने व लोगों को कन्विंस करने में एक्सपर्ट है। पकड़ने वाली टीम में ये रहे शामिल निरीक्षक ललित मोहन जोशी, उपनिरीक्षक दिनेश कुमार पंत,एएसआई सत्येन्द्र गंगोला, हेड कांस्टेबल मनोज कुमार, कांस्टेबल मो.उस्मान आदि शामिल थे।