भोंपूराम खबरी। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए बिल पेश कर दिया गया है। विधानसभा में पास होने के बाद इस बिल को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और फिर उनके साइन के बाद यह बिल कानून में तब्दील हो जाएगा। इस
कानून के बाद कई मामलों में सभी धर्मों को लेकर एक जैसे नियम हो जाएंगे, उनमें उत्तराधिकार के नियम-कानून भी शामिल हैं। समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 विधेयक में बेटे और बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सेदारी का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार दावेदारों के बीच संपत्ति के बंटवारे पर निर्णय लेने के लिए एक प्राधिकरण नियुक्त करेगी बेटा और बेटी को बराबर हिस्सा।
समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद बेटे और बेटियों को संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा। कानून में हिंदू संयुक्त परिवार (HUF) की रक्षा के लिए एक विशेष प्रावधान प्रदान किया गया है। राज्य सरकार दावेदारों के बीच संपत्ति के बंटवारे पर निर्णय लेने के लिए प्राधिकारी नियुक्त करेगी।
विधेयक में क्या बातें?
इस विधेयक में कहा गया है कि ‘बिना वसीयत के मरने वाले व्यक्ति की संपत्ति सबसे पहले उसके वारिस बेटे, बेटी, विधवा पत्नी, माता और पिता के नाम की जाएगी। यदि इनमें से कोई नहीं होगा तो उसके बाद उसके निकटतम रिश्तेदार भाई, बहन, भाई का बेटा, बहन का बेटा, भाई की बेटी, बहन की बेटी को उत्तराधिकारी बनाया जाएगा।
इस विधेयक उत्तराखंड में सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, का विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों का प्रस्ताव है। यूसीसी विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर कोई लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है तो उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर छह महीने की जेल हो सकती है। विधेयक में प्रस्ताव है कि जो कोई भी राज्य के भीतर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, चाहे वह उत्तराखंड का निवासी हो या नहीं, उसे अपने लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण प्रशासन के समस्त पेश करना होगा। लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण संबंधित रजिस्ट्रार दफ्तर में देना अनिवार्य होगा।