भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) की तैयारी कर रहे युवक को ईकॉमर्स कंपनी अमेजन से ऑर्डर की गई पुस्तक नहीं मिली तो उसने कंपनी सहित दो के खिलाफ परिवाद दायर किया। मामले में सुनवाई के बाद | जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ई कॉमर्स कंपनी अमेजन को परिवादी को 30 दिन के भीतर 67 रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। कंपनी को सेवाओं में कमी और मानसिक उत्पीड़न के लिए 5000 रुपये और वाद व्यय के 2000 रुपये भी परिवादी को देने होंगे।
रुद्रपुर निवासी नितिन गक्खर ने सात फरवरी 2022 को अमेजन इंडिया कॉरपोरेट ऑफिस के एमडी और दिल्ली ओपन बुक्स दरियागंज दिल्ली के प्रबंधक/प्रोपराइटर पर परिवाद दायर किया। उसने कहा कि गेट की परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने कंपनी की वेबसाइट से 10 अक्तूबर 2021 को 670 रुपये का भुगतान कर पुस्तक आर्डर की थी। किताब डिलीवर नहीं होने के कारण वह गेट की तैयारी नहीं कर पाया और उसके हाथ से सुनहरा मौका निकल गया। यदि किताब उपलब्ध करा दी जाती तो उसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल जाता।
वादी के अनुसार अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को भेजे नोटिस के जवाब में उसे बताया गया कि आर्डर की गई किताब आई थी, लेकिन उन्हें दुकान पर आए ग्राहकों को बेच दिया गया।
मामले की सुनवाई आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल सिंह, सदस्य नवीन चंद्र चंदोला और देवेंद्र कुमारी तागरा ने की। सुनवाई के दौरान बताया गया कि कंपनी की ओर से परिवादी को 603 रुपये वापस किए गए थे।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अमेजन को आदेश दिए कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के अंदर परिवादी को 67 रुपये वापस करे। सेवाओं में कमी, मानसिक उत्पीड़न के लिए 5,000 और वाद व्यय के लिए 2,000 रुपये का भी भुगतान किया जाए। यदि 30 दिन के अंदर सभी धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो उक्त समस्त धनराशि पर वाद योजन की तारीख से भुगतान की तिथि तक सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज का भी भुगतान कंपनी को करना पड़ेगा।