भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी यानी अक्षय नवमी जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उत्तर भारत और मध्य भारत में आंवला की जबकि दक्षिण और पूर्व भारत में इसी दिन जगद्धात्री पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष अष्टमी नवमी एक ही दिन होने कारण गोपाष्टमी और आंवला नवमी मनाई गई।
ज्योतिषाचार्य लव कुश भारद्वाज ने बताया कि आँवला नवमी के दिन आँवले के पेड़ पर भगवान विष्णु एवं शिव जी वास करते हैं। जिस कारण श्रद्धालुओं द्वारा सुबह से ही वृक्षों की साफ़ सफाई की गई। उन्होंने बताया कि आंवला नवमी को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित है जिसमे संतान और समृद्धि की प्राप्ति का संदेश दिया गया है। शहर के मंदिरों में भी आंवले के पेड़ की पूजा करने के साथ कुछ स्थानों पर वृक्ष के नीचे भोजन भी बनाया गया। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।